Home, All Blogs, My Posts List, All label5

बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक पाठ 003-01-003(हिन्दी पद्यानुवाद सहित)

पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम्।
व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता।।१।३।।
( पश्यैतां = पश्य +एताम् ) ; पश्य = ; एताम् = इस ;
(पाण्डुपुत्राणामाचार्य = पाण्डुपुत्राणाम् + आचार्य) ; पाण्डुपुत्राणाम् = पाण्डु के पुत्रों की ; आचार्य = हे आचार्य ; महतीं = विशाल ; चमूम् = सेना को ; व्यूढां = सुसज्जित, ; द्रुपदपुत्रेण = राजा द्रुपद के पुत्रों के द्वारा ; तव = आपके (तुम्हारे) ; शिष्येण = शिष्य के द्वारा ; धीमता = अत्यधिक बुद्धिमान।
हे आचार्य ! आप पाण्डु-पुत्रों की व्यूहाकाररूप में सुसज्जित इस विशाल सेना को देखिए जिसे आपके बुद्धिमान शिष्य द्रुपद-पुत्र (धृष्टद्युम्न) के द्वारा सजाया गया है।
विशाल सेना पाण्डवों की, व्यूह-रचना हे गुरुवर देखिए ।
सजा है बुद्धि कला से , तव शिष्य द्रुपद-पुत ने है किए।।१।३।।

2 टिप्‍पणियां:

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.