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रविवार, 25 फ़रवरी 2024

श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक पाठ 036-01-036(हिन्दी पद्यानुवाद सहित)

निहत्य धार्तराष्ट्रान्न: का प्रीतिस्याज्जनार्दन ।
पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिन: ।१।३६।।
निहत्य = मारकर (भी);( धार्तराष्ट्रान्न: = धार्तराष्ट्रान् +न: ) धार्तराष्ट्रान् = धृतराष्ट्र के पुत्रों के;न: = हमें; का =क्या; ( प्रीतिस्याज्जनार्दन = प्रीति:+स्यात्+जनार्दन,)प्रीति: = प्रसन्नता; स्यात् = होगी; जनार्दन: = जनों के दी:ख हरने वाले; (पापमेवाश्रयेदस्मान्हत्वैतानाततायिन: = पापम्+एव+आश्रयेत्+अस्मान्+हत्वा+एतान् आततायिन: ); पापम् = पाप; एव = ही; आश्रयेत् =लगेगा; अस्मान् = हमें; हत्वा = मारकर; एतान् = इन; आततायिन: = आततायियों को ।
हे जनार्दन! धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हमें क्या प्रसन्नता होगी? इन आततायियों को मारकर तो हमें पाप ही लगेगा ।।१।३६।।
हे जनार्दन! होगी खुशी क्या हमें धृतराष्ट्र सुतों को मारकर।
क्या न होगा पाप अवश्य ही इन आततायियों को संहार कर ।।१।३६।।
हरि ॐ तत्सत्।
- श्री तारकेश्वर झा 'आचार्य'

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