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बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक पाठ 007-01-007(हिन्दी पद्यानुवाद सहित)


अस्माकं तु विशिष्टा ये तान्निबोध द्विजोत्तम।
नायका मम सैन्यस्य संज्ञार्थं तान्ब्रवीमि ते।।१।७।।
अस्माकं = हमलोगों के, हमारे ; तु = लेकिन ; विशिष्टा : = विशेष शक्तिशाली ; ये = जो ;( तान्निबोध = तान् + निबोध ) ; तान् = उन्हें ; निबोध = समझ लीजिए ; ( द्विजोत्तम = द्विज +उत्तम ) ; द्विज = हे ब्रह्मण ; उत्तम = श्रेष्ठ ; नायका = नायका : = सेनापति ; मम् = मेरे ; सैन्यस्य = सेना के ; संज्ञार्थं(संज्ञा+अर्थं) = जानकारी के लिए ; तान् = उन्हें ; ब्रवीमि = बताता हूं ; ते = आपको।
हे ब्राह्मण श्रेष्ठ! लेकिन अब हमारे जो विशेष शक्तिशाली वीर योद्धा हैं, उन्हें आप समझ लीजिए। वे सभी हमारी सेना के संचालन करने में सक्षम हैं, उन्हें आपको जानकारी के लिए बताता हूं।
हे द्विजश्रेष्ठ ! अपने समर के विशिष्ट योद्धा जान लें।
सैन्य-संचालन निपुण हैं, कह रहा आप संज्ञान लें।‌‌।१।७।।
हरि ॐ तत्सत्।
- श्री तारकेश्वर झा 'आचार्य'

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