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शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक पाठ 015-01-015(हिन्दी पद्यानुवाद सहित)

पाञ्चजन्यं हृषीकेशो देवदत्तं धनंजयः।
पौण्ड्रं दध्मौ महाशङ्खं भीमकर्मा वृकोदरः।।१।१५।।
पाञ्चजन्यं = पाञ्चजन्य नामक शंख को( भगवान श्रीकृष्ण के शंख का नाम ) ; हृषीकेश: = अन्तर्यामी भगवान श्रीकृष्ण ; देवदत्तं = देवदत्त नामक शंख को (अर्जुन के शंख का नाम ) ; धनंजय: = अर्जुन ( धन को जीतने वाले ) ; पौण्ड्रं = पौण्ड्र नामक शंख को ( भीम के शंख का नाम ) ; दध्मौ = बजाया ; महाशङ्खं = विशाल शंख को ; भीमकर्मा = भयानक ( भीषण ) कर्म करने वाले ; वृकोदर: = वृकोदर, भीम ( भीम के पेट में वृक नामक अग्नि था जिसके कारण उसका भोजन शीघ्र ही पच जाता था और भूख लग जाती थी। )
हृषीकेश भगवान श्रीकृष्ण ने पाञ्चजन्य नामक शंख को बजाया और धनञ्जय अर्जुन ने देवदत्त नामक शंख को जोर से बजाया। तभी भीमकर्मा वृकोदर भीम ने अपने विशाल पौण्ड्र नामक शंख को बहुत जोर से बजाया।।१।१५।।
माधव ने अब पाञ्चजन्य को, देवदत्त को पार्थ बजा डाला।
भीमकर्मा वृकोदर भीम ने, शंख पौण्ड्र बजाया मतवाला।।१।१५।‌।

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