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बुधवार, 14 फ़रवरी 2024

श्रीमद्भगवद्गीता दैनिक पाठ 005-01-005(हिन्दी पद्यानुवाद सहित)


धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान्।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः।।१।५।।
(धृष्टकेतुश्चेकितान: = धृष्टकेतु: + चेकितान:) ; धष्टकेतु: = धृष्टकेतु ; चेकितान: = चेकितान;
(काशिराजश्च = काशिराज: +च) ; काशिराज: = काशिराज;च = और ;
वीर्यवान् = परम शक्तिशाली ( पुरुजित्कुन्तिभोजश्च = पुरुजित्+कुन्तिभोज: + च ) ; पुरुजित् = पुरुजित् ; कुन्तिभोज: = कुन्तिभोज ; च = और ; ( शैव्यश्च = शैव्य:+च ) ; शैव्य: = शैव्य ; ;च = और ; नरपुङ्व: = नरश्रेष्ठ( नरों में वीर)।
इनके साथ में धृष्टकेतु, चेकितान, काशिराज,पुरुजित् , कुन्तिभोज, शैव्य जैसे महान् शक्तिशाली वीर योद्धा भी हैं।
धृष्टकेतु चेकितान भी हैं, काशिराज जैसे वीर हैं।
पुरुजित् कुन्तिभोज भी हैं, शैव्य तुल्य नरवीर हैं।।१।५।।
हरि ॐ तत्सत्।
- श्री तारकेश्वर झा 'आचार्य'

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