कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्मा: सनातना:।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत ।।१।४०।।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत ।।१।४०।।
कुलक्षये =कुल के नाश होने से; प्रणश्यन्ति = नष्ट हो जाते हैं; कुलधर्मा: = कुलधर्म; सनातना: = सनातन; धर्मे नष्टे = धर्म के नाश होने से;कुलं = कुल; (कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत = कृत्स्नम्+अधर्म:+अभिभवति+उत) कृत्स्नम् = संपूर्ण; अधर्म: = पाप; अभिभवति = बहुत बढ़ जाता है;उत = भी ।
कुल के नाश हो जाने से सनातन कुलधर्म नष्ट हो जाते हैं, धर्म के नाश हो जाने पर सम्पूर्ण कुल में पाप भी बहुत बढ़ जाता है ।।१।४०।
कुल नष्ट होने पर कुलधर्म सनातन मिट जाता है।
धर्म विनष्ट हुआ ज्यों ही तो पाप बहुत बढ़ जाता है।।१।४०।।
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